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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesएकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप के बाद भारतीय टीम जब पहली बार मैदान में उतरी तो उस
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एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप के बाद भारतीय टीम जब पहली बार मैदान में उतरी तो उसके सामने कमजोर आंकी जाने वाली वेस्टइंडीज़ की चुनौती थी.
भारत के इस दौरे का एक मकसद अगले साल होने वाले टी-20 विश्व कप की तैयारी करना भी है.
सातवां आईसीसी टी-20 विश्व कप अगले साल 18 अक्तूबर से 15 नवंबर तक ऑस्ट्रेलिया में खेला जाएगा. इसलिए भारत के लिए वेस्ट-इंडीज़ के ख़िलाफ़ खेली जा रही तीन मैच की टी-20 सिरीज़ भी बेहद महत्वपूर्ण हो गई है.
इस सिरीज़ के शुरुआती दो मुक़ाबले अमरीका के फ्लोरीडा शहर में खेले जा रहे हैं, जिसके पहले मैच में भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच तीन मैचों की टी-20 सिरीज़ में फ्लोरिडा में खेला गया पहला मैच भारत ने कभी लड़खड़ाते तो कभी संभलते हुए आख़िरकार अपने नाम कर लिया.
भारत के सामने जीत के लिए 96 रन का लक्ष्य था जो उसने 17.2 ओवर में 6 विकेट खोकर हासिल कर लिया.
इससे पहले टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी की दावत पाकर वेस्टइंडीज़ की टीम निर्धारित 20 ओवर में नौ विकेट खोकर महज़ 95 रन बना सकी.
क्रिकेट में अक्सर कम स्कोर वाले मैच बेहद रोमांचक साबित होते हैं, थोड़ा बहुत ऐसा हुआ भी लेकिन इसके बावजूद भारत कभी भी इस मैच में हारता हुआ नहीं लगा.
जब मुश्किल में फंसा भारत
वैसे एक समय भारत ने भी अपने पांच विकेट 13.5 ओवर में केवल 69 रन पर खो दिये थे.
इनमें कप्तान विराट कोहली, शिखर धवन, रोहित शर्मा, ऋषभ पंत और मनीष पांडेय के विकेट शामिल थे.
कप्तान विराट कोहली 19 रन बनाने के बाद खब्बू तेज़ गेंदबाज़ शेल्डन कोट्रल की गेंद पर बेहद गैर-ज़िम्मेदाराना शॉट खेलकर पोलार्ड के हाथों कैच हुए.
इससे पहले मनीष पांडेय भी 19 रन बनाकर अंधाधुंध शॉट लगाने की कोशिश में कीमो पॉल की गेंद पर बोल्ड हुए.
शिखर धवन एक रन बना सके, ऋषभ पंत का खाता नहीं खुला और रोहित शर्मा ने 24 रन बनाए.
ऐसे हालात में तब रोमांच पैदा हो गया जब भारत का छठा विकेट भी 88 रन पर गिरा.
क्रुणाल पांड्या 12 रन बनाकर कीमो पॉल की गेंद पर बोल्ड हुए.
आखिरकार रविंद्र जडेजा ने नाबाद 10 और वाशिंगटन सुंदर ने नाबाद 8 रन बनाकर भारत को जीत की मंजिल तक पहुंचाया.
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesविश्वकप के बाद पहला मैच
इस मुक़ाबले को एक महा-मुक़ाबले के तौर पर देखा जा रहा था क्योंकि हाल में संपन्न हुए 12वें आईसीसी वनडे विश्वकप क्रिकेट टूर्नामेंट में भारत सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड से हारकर बाहर हुआ था.
दूसरी तरफ साल 1975 और 1979 की चैंपियन वेस्टइंडीज़ का हाल तो और भी बुरा रहा.
वेस्टइंडीज़ की टीम 10 टीमों के बीच नौवें पायदान पर रही.
वेस्ट इंडीज़ से उम्मीद थी कि वह भारत के ख़िलाफ़ कुछ रोमांच पैदा करेगा लेकिन ऐसा हो ना सका.
किरेन पोलार्ड ने 49 गेंदों पर दो चौके और चार छक्कों की मदद से 49 रन बनाए, वरना वेस्टइंडीज़ की हालत क्या होती, इसे आसानी से समझा जा सकता है.
वैसे पोलार्ड तब आउट हुए जब वेस्टइंडीज का स्कोर 8 विकेट खोकर 95 रन था.
तेज़ गेंदबाज़ नवदीप सैनी की गेंद सीधे उनके पैड पर जाकर रुकी.
भारतीय खिलाड़ियों ने एलबीडब्लू की अपील की जिसे मैदानी अंपायर ने नकार दिया लेकिन कप्तान विराट कोहली ने डीआरएस लिया. इसके बाद पोलार्ड को आउट पाया गया.
कमाल की बात है कि नवदीप सैनी का यह ओवर, जो कि पारी का आखिरी 20वां ओवर था, मेडिन ओवर रहा.
पोलार्ड के अलावा विकेटकीपर बल्लेबाज़ निकोलस पूरन ने 20 रन बनाए.
कप्तान कार्लोस ब्रैथवेट ने नौ रन बनाए. इसके बाद सबसे अधिक योगदान अतिरिक्त रनों का था जो आठ थे.
पांच बल्लेबाज़ तो अपना खाता तक नहीं खोल सके. अब भला जिस टीम की बल्लेबाज़ी ऐसी हो उस टीम का और क्या हो सकता था.
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तेज़ गेंदबाज़ नवदीप सैनी
भारत की धारदार गेंदबाज़ी
दरअसल भारतीय गेंदबाज़ों की सधी लाइन-लैंथ वाली गेंदों के सामने वेस्टइंडीज़ की शुरुआत ही बेहद ख़राब रही.
उसकी सलामी जोड़ी जॉन कैम्पबेल और इवीन लेविस अपना खाता तक नहीं खोल सकी.
कैम्पबेल वाशिंगटन सुंदर की दूसरी ही गेंद पर क्रुणाल पांड्या को कैच दे बैठे तो लेविस भुवनेश्वर कुमार की गेंद पर बोल्ड हो गए.
इसके बाद सिमरोन हेटमायर, रोवमन पॉवेल और कप्तान ब्रैथवेट के अलावा सुनील नारायन का बल्ला भी नहीं बोला.
भारत के नवदीप सैनी ने 17 रन देकर तीन और भुवनेश्वर कुमार ने 19 रन देकर दो विकेट हासिल किए.
वाशिंगटन सुंदर, खलील अहमद, कृणाल पांड्या और रविंद्र जडेजा ने भी अपने हाथ खोलते हुए एक विकेट झटका.
कुल मिलाकर अगर यह कहा जाए कि वेस्टइंडीज़ के बल्लेबाज़ बेहद ख़राब खेलते हुए बस बल्ला चलाकर कैच उछाल रहे थे जिसे भारतीय खिलाड़ी बेहद आराम से लपक रहे थे.
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इमेज कॉपीरइटGetty Imagesटी-20 विश्वकप की तैयारी
वैसे भारत के कप्तान विराट कोहली ने टी-20 सिरीज़ शुरू होने से पहले कहा था कि टी-20 विश्व कप शुरू होने से पहले भारत के पास 25-26 मैच हैं.
परिस्थितियों के अनुसार एक मज़बूत संयोजन बनाने की कोशिश रहेगी.
इसके अलावा एक साधारण प्रक्रिया के तहत कौन किस परिस्थिति में इस स्तर की क्रिकेट में कैसा प्रदर्शन कर रहा है, उस पर नज़र रहेगी.
एक टीम के रूप में परिणाम हासिल करने के लिए किसी भी मैच को हल्के में नहीं लिया जा सकता.
अब भारत अगले साल तक अपने सर्वश्रेष्ट 15 खिलाड़ियों की पहचान करेगा.
वैसे भारतीय टीम से इतनी आसान जीत की उम्मीद नहीं थी, ख़ासकर यह देखते हुए कि पिछली बार फ्लोरिडा में बेहद ज़बरदस्त अंदाज़ में टी-20 मुक़ाबले खेले गए थे.
तब साल 2016 में भी वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ दो मैच खेले गए थे, जहां पहले मैच में वेस्ट इंडीज़ ने भारत को केवल एक रन से हराया था.
उस मुक़ाबले में वेस्टइंडीज़ ने क्रिस गेल के 49 गेंदों पर बनाए पूरे 100 रन की मदद से निर्धारित 50 ओवर में 6 विकेट खोकर 245 रन बनाए थे.
जवाब में भारत केएल राहुल के नाबाद 110 रन बनाने के बावजूद 4 विकेट खोकर 244 रन बना सका था.
इसके बाद हालांकि दूसरा मैच बारिश की भेंट चढ़ गया था.
अब दोनों टीमों के बीच दूसरा टी-20 रविवार को खेला जाएगा
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भारतीय टीम लगातार दूसरी जीत के तीन मैचों की सिरीज़ अपने नाम करने की कोशिश करेगी, दूसरी तरफ वेस्ट इंडीज़ सिर्फ इस बात को लेकर सब्र कर सकती है कि उसके गेंदबाज़ों ने उसे बेहद शर्मनाक हार से बचा लिया.
भारत भी भले ही मैच जीतने में कामयाब रहा, लेकिन मध्यक्रम की नाकामी एक बार फिर उभर कर सामने आ गई.
चार नम्बर पर ऋषभ पंत कुछ नही कर सके.
उन्हें जिस तरह के मौक़े मिल रहे है उसका फ़ायदा वह नही उठा पा रहे है.
इस मैच में युवा नवदीप सैनी ने अपने पहले ही मैच में दिखाया कि उन पर भरोसा किया जा सकता है. वह मैन ऑफ द मैच भी रहे.
वैसे भी भारत की गेंदबाज़ी पिछले कुछ समय से बेहद धारदार रही है, अगर भारत को कहीं हार का सामना करना पड़ा है तो उसके लिए बल्लेबाज़ ज़िम्मेदार रहे हैं.
शनिवार को भी भारत अपने गेंदबाज़ों के कारण बच गया.
अब देखना है भारत और वेस्टइंडीज़ के बल्लेबाज़ इस मैच से सबक़ लेकर दूसरे मैच में क्या गुल खिलाते हैं.
जीत का स्वाद चखने के बाद भारत के कप्तान विराट कोहली ने माना कि विकेट मुश्किल था,लेकिन ऐसे विकेट पर ही तो बल्लेबाज़ों की असली परीक्षा होती है.
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